जमीन के निचे साँस लेता वो शहर - सांभर

जमीन के निचे साँस लेता वो शहर - सांभर

नमस्कार दोस्तों 



आज आपको सुनाता हु एक ऐसे भूतिया शहर की कहानी जो पिछले 1300 सालो से जमीन में साँस ले रहा है।  एक ऐसा शहर जो एक सन्यासी के श्राप से रातोंरात उलट पलट गया, एक ऐसा शहर जिसे तांत्रिकों का hub माना जाता था, एक ऐसा शहर जो अपने आप में एक संस्कृति  था , एक ऐसा शहर जो किसी हड़प्पा सभ्यता से किसी मामले में काम नहीं था ,एक ऐसा शहर जिसे किसी एक पीर बाबा या संत या सन्यासी के तात्कालिक क्रोध का ग्रास बनना पड़ा। ये सब आपको पढ़ने में फिल्मी लगता होगा ,इसका किसी पुस्तक में विवरण भी मुश्किल से आपको मिल जायेगा।मै नहीं जानता की गूगल या विकिपीडिया पर इसके बाबत जानकारी क्यों उपलब्ध नहीं है  लेकिन जो आज आप पढ़ेंगे वो सोलह आने सच है। जिसकी पुष्टि न्यूज़ 24 के एक कार्यक्रम में की गयी है जिसका शीर्षक है "खंडहर में  साँस लेता वो शहर"।

आज के सांभर शहर के पास ही १३०० साल पुराने सांभर शहर के अवशेष देखे जा सकते है। उसके अवशेष ऐसे जान पड़ते हो जैसे घरो की छते निचे जमीन पर आ गयी हो। उसका औराआज भी किसी प्राचीन सुविकसित सभ्यता से कम नहीं लगता। उसे देखकर किसी भी भारतीय को अपनी पुरातन सभ्यता पर गर्व हो जायेगा।

 सांभर का इतिहास  

बात आज से लगभग १३०० साल पुराणी है यानि लगभग ८ वि शताब्दी की आज के सांभर शहर

आज के सांभर शहर के पास ही १३०० साल पुराने सांभर शहर के अवशेष देखे जा सकते है। उसके अवशेष ऐसे जान पड़ते हो जैसे घरो की छते निचे जमीन पर आ गयी हो। उसका औराआज भी किसी प्राचीन सुविकसित सभ्यता से कम नहीं लगता। उसे देखकर किसी भी भारतीय को अपनी पुरातन सभ्यता पर गर्व हो जायेगा।

  आज के सांभर शहर के पास में ही वो पुराना शहर बसा हुआ था जिसका उस वक्त नाम था पाटन। यह खुशहाल व् संपन्न शहर था और यह तांत्रिको की पूजास्थली कहते है इस गाओ  में बहुत से छोटे बड़े तांत्रिक रहते थे। अतिथि सत्कार में इस गांव का खूब नाम था। जो भी इंसान इस गांव में आता था वह खूब आतिथ्य पाकर ही घर वापस लौटता। खाने पिने रहने की कोई कमी नहीं थी। लेकिन कहते है न की एक सड़ा हुवा टमाटर पुरे टोकरी को ही सड़ा देता है। उसी तरह इस गांव में भी कुछ सड़े हुवे तांत्रिक रहते थे जो की अपनी अघोरी तांत्रिक पिपांसाको तृप्त करने के लिए किसी न किसी शिकार की खोज में रहते है। उन्ही कुछ एक लोगो की वजह से उस हरे भरे गांव के सभी लोगो को उनके किये की ऐसी सजा मिली की उन्होंने  जिंदगी में कभी सोची न होगी

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संत का श्राप  

गांव की अतिथि सत्कार की ख्याति सुनकर वहा एक दी एक संत आये जो की भिक्षुक थे। उन्हें वहा के तांत्रिको ने अपने घर रहने के लिए कहा।  उनका सम्पर्क आया उन जहरीले तांत्रिकों से। उन्होंने उनका यथोचित स्वागत किया भोजनविश्राम की व्यवथा क। जब रात हुई और भोजन करने का समय आया तो  भोजन देते वक्त उस अन्न में तंत्रिओं ने मांस मिला दिया।

कहते है साधु संतो को कभी ग़ुस्सा नहीं आता लेकिन जब आता है तो वे विधि का विधान बदलने की ताकत रखते है। बड़े बड़े राजाओ महाराजाओ को उनके सामने झुकना पड़ता है। इसका कारन है उनकी वर्षो की तपस्या, त्याग ईश्वर चरणों में प्रेम ,अनुराग जिसके बल पर वे इसी जन्म में सांसारिक वृत्तियों से विरक्त जीवन जीते रहते है। ऐसा ईश्वर भक्त अपने ऊपर चाहे जितनी यातनाये ,दुःख,कष्ट सहन कर सकता है लेकिन कोई उसके और उसके ईश्वर के बीच में आये तो वे यह कदापि सहन नहीं कर सकते । फिर उस परिस्थिति को दूर करने को वे ऐसे अकल्पनीय तरीके अपना सकते है जिसकी साधारण मानव कल्पना भी नहीं कर सकता।

अब तांत्रिक और संत भोजन करने बैठ गए। भोजन के समय संत को इस बात का पता चल गया की उनके भोजन में मांस मिला हुआ है। इस बात पर संत को इतना गुस्सा आया की उन्होंने पुरे गांव को श्राप दे दिया की पूरा गांव उलट पलट हो जाये। जैसे ही उन्होंने अपनी हथेली पलटाई पूरा गांव ही उस हथेली के साथ पलट गया। एक ही रातमें सब हमेशा नींद की की आगोश में चले गए। एक ही रात में वह संपन्न शहर खँडहर बन गया ,एक ही रात में वहा की साडी संपत्ति जमीन में चली गय। वह सा अवशेष ASI ने खुदाई के बाद वहासे बरामद कर लिए है 

उल्टा गांव

ऊपर से देखने पर आपको ऐसा  लगेगा की इमारतों की छते जमीन से चिपकी हुई है और बाकि की भाग जमीन में धंस चूका है। इसी वजह से इसे उलटा गांव भी कहा जाता है। यह सिर्फ कोरी कहानी नहीं है बल्कि इसकी पुष्टि इस गांव के लोग करते रहते है और ASI ने भी अपने संशोधन से यहाँ की किवदंतियो को माना है।

 ASI का दावा

archeological survey of india ने इस जगह को १९३६ के बाद अपने अधीन ले लिया है। यहाँ किसी भी बाहरी व्यक्ति का आकर खुदाई करना या छूना भी मना ह। आगोश में हजारो राज लिए इस शहर में कहा जाता है की और भी करोडो रुपयों की अमूल्य सम्पति छिपी हुई हो सकती है। यही कारण है की कुछ मनचले लोग यहाँ संपत्ति की लालच में खुदाई करने आते है। जो की अवैध है। लेकिन यहाँ का भूतिया वातावरण उनको भी इसकी इजाजत नहीं देता।

ASI ने साल 1936 से यह खुदी का काम शुरू किया है और वक्त वक्त पर खुदाई होती रहती ह। 1984  की खुदाई में यहाँ से मिली वस्तुए बहुत महत्वपूर्ण है  और उसमे बहुत सी पुराणी इमारते निकली है। सर्वेक्षण में यहाँ मानव कंकाल ,सोने चांदी के सिक्के ,आभूषण ,करोडो की संपत्ति भी मिली है। गांव वाले बताते है की यहाँ आस पास जहा भी खुदाई होती है उस पुराने शहर से जुड़े कुछ न कुछ राज निकल ही आते ह।  बताते है की यहाँ मिली वस्तुए १५०० से २००० साल पुराणी है।


गांव वालो का कहना है की इस जगह पर उन तांत्रिको की आत्माये आज भी घूमतीं रहती है। और इसी वजह से इस जगह पर सूरज ढलने के बाद आने पर सख्त मनाही  है। कहते है की रात में यह आत्माये जागृत होती है। यहाँ के एक निवासी सुरेश  (बदला हुआ नाम ) अपनी पीढ़ी के अठाइसवे व्यक्ति है। और उनके पूर्वजो से वे इस जगह की बातें सुनते आ रहे है।

 

इस तरह के बहुत से रहस्यमयी स्थल अपने भारत में पाए जाते है। जिसमे से कुछ अपने सुने होंगे ,कुछ अनसुने होंगे, बहुत सी तो ऐसी भी कहानिया है जिनका किसी किताबो में उल्लेख नहीं मिलता। ऐसी ही रोचक बातें पढ़ते रहने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो करे कमेंट करे और अपने सुझाव adhyatmikbharat12@gmail.com पर भेज सकते है।

धन्यवाद्।  


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