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अपने बच्चे की मोबाइल की लत कैसे दूर करें

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  बच्चों में मोबाइल की लत एक चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि अत्यधिक समय स्क्रीन पर बिताने से उनके शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक कल्याण और सामाजिक कौशल को प्रभावित कर सकता है। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जो बच्चों में मोबाइल की लत को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं: सीमा निर्धारित करें : अपने बच्चों के मोबाइल डिवाइस के उपयोग के लिए विशिष्ट नियम और समय सीमा निर्धारित करें। उदाहरण के लिए, उन्हें हर दिन एक निश्चित समय के लिए और केवल कुछ घंटों के लिए डिवाइस का उपयोग करने दें। उदाहरण के लिए, स्क्रीन समय प्रति दिन 1-2 घंटे तक सीमित करें या उन्हें अपना होमवर्क या काम पूरा करने के बाद ही डिवाइस का उपयोग करने दें। मॉनिटर उपयोग: अपने बच्चे के मोबाइल उपयोग पर नज़र रखें और जांचें कि वे कौन से ऐप का उपयोग कर रहे हैं। साथ ही, यह देखने के लिए कि कहीं कोई नकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, उनके व्यवहार और मनोदशा पर नज़र रखें। वैकल्पिक गतिविधियाँ प्रदान करें: अपने बच्चों को ऐसी अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें जिनमें मोबाइल डिवाइस शामिल नहीं हैं, जैसे कि बाहर खेलना, किताबें प...

जीवन के Candle stick Patterns

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 अगर हम चाहे तो समाज मे जो कुछ भी दिखता है उससे बहुत कुछ सिख सकते है. उससे हम क्या सीखते है यह डिपेंड करता है की उस चीज से हम मे पॉजिटिव चीजे लेने की क्षमता ज्यादा है या नेगेटिव. हम जब भी प्रकृति को बारीकी से देखते है तो हमें पता चलता है की प्रकृति के कुछ standard नियम है जो जीवन मे और प्रकृति मे हर aspect और परिस्थिति मे समान रूप से कार्य करते रहते है. हम अगर इन चीजों और नियमो को जान ले और इन्हे जीवन मे implement करना शुरू करें तो जीवन सुगम, सुरम्य, शांतिदायक, ज्ञानपूर्ण और परिषकृत होता चला जायेगा.       जैसे की हम trading करते है तो candle stick charts को जरूर से देखते है, TA करते है, अलग अलग patterns बनते हुए देखते है. इस आर्टिकल मे हम ऐसे कुछ patterns डिस्कस करेंगे जिससे आप कुछ सिख सकते है, trading के दृष्टिकोण से नहीं जीवन की दृष्टिकोण से!      आप यह भी पूछ सकते है की क्या यह फालतू की बात तो नहीं? मै कहता हु नहीं, क्योंकि प्रकृति हर जगह सामान रूप से behave करति है Candle stick charts : आम तौर पर हर रेड candles के बाद ग्रीन और ग्रीन के बाद रेड cand...

सांसारिक माया और भक्ति

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  सांसारिक माया   समाज मे आज भौतिकतावाद इतना सर चढ़ के बोल रहा है जितना इतिहास मे कभी नहीं था | यह याद रखिये जितना भौतिकतावाद बढेगा उतना समाज मे दुख और अज्ञान बढेगा | भगवत गीता मे तीन गुणों के अलग अलग फल बताये गए है | सतोगुण का फल है  ज्ञान, शांति, सुख  | रजोगुण का फल है दुख और तमोगुण का फल है अज्ञान | भौतिकतावाद मे मानव के सभी कर्म शरीर पोषण और सांसारिक सुखो की प्राप्ति हेतु सिमित हो जाते है, और इसके लिए जो कर्म किये जाते है वे रजौगुनी और तमोगुनी प्रधान होते है, और जैसा की ऊपर कहा गया है की राजोगुण का फल दुख और तमोगुण का अज्ञान होता है तो संसार मे ज्यादातर दुख और अज्ञान ही दिखाई पड़ते है | भले ही आज आधुनिक समाज मे ज्ञान की नई नई शाखा जन्म ले रही है जो पहले नही थी जैसे की विज्ञानं इतिहास समाजशात्र, फिलोसोफी, इत्यादि यहाँ तक की अध्यात्म की भी अलग अलग शाखाएं लोग बनाने लगे है फिर भी व्यक्ति अज्ञानी और दुखी क्यों है? इसका कारण है कर्मो मे सतोगुण का आभाव और राजोगुण एवं तमोगुण का वर्चस्व | इसी को हम सांसारिक माया कहते है |      सांसारिक माया तब प्रभावी हो...

मनात भलते सलते विचार येत असतील तर एकदा जरूर वाचा

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 मनात जर आत्महत्येसारखे विचार येत असतील तर समजावं कि मनाचा तुच्छ दुबळेपणा च्या भावना बुद्धी वर हावी आहे अशा स्थितीत बरे वाईट काय हे समजण्याची कुवत नसते बुद्धी हि मनाच्या ताब्यात आहे आणि मन तिला पंगू बनवून नाचवतोय.  मन हे निराशेवर, फ्रस्ट्रेशन वर अशा प्रकारे तुटून पडत जसे कीटक आगीवर.   अशा स्थितीत आऊट ऑफ द बॉक्स जाऊन भावना एका बाजूला ठेवून तर्क संगत न्यायसंगत विचार करावा, स्वतः च आपल्यात सकारात्मकता येईल.   जीवन हा एक सिनेमा आत्मा याचा डायरेक्टर मन हे या पिक्चर चा हिरो तर बुद्धी या पिक्चर चे हिरोईन  असते  साधारण मनुष्य हा प्रेक्षक स्वरूपाने हा सिनेमा बघत  असतो  प्रेक्षकाला फक्त सिनेमा वरची हीरो हीरोइन दिसतात पण डायरेक्टर हा कधीच दिसत नाही तसेच आपल्या आयुष्यात आपल्याला आत्म्याचा अनुभव  कदाचितच होत असेल कारण साधारण मनुष्याची चेतना ही कधी आत्म्याच्या स्तरावर येतच नाही साधारण मनुष्याचे चेतना ही त्याच्या मन आणि बुद्धीचा अडकून राहते ज्याप्रकारे प्रेक्षक हा फक्त हिरो आणि हिरोइन लाच बघतो त्याच प्रकारे त्याच प्रकारे संपूर्ण  जीवनात बुद्ध...

कोल्हापुर की महालक्ष्मी (अम्बाबाई )

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कोल्हापुर की महालक्ष्मी (अम्बाबाई ) महाराष्ट्र भारत  का एक ऐसा एक लौता राज्य है जिसे संतो की भूमि  कहा जाता है। यु तो दश में कई बड़े बड़े  तीर्थस्थल लेकिन उन सब में भी महाराष्ट्र का  अपना एक अलग महत्त्व है मध्यकालीन युग में  जो भक्ति रस  महाराष्ट्र के संतो ने बहाया है वह कोई और  राज्य न कर सका।  चाहे वह संत ज्ञानेश्वर हो संत नामदेव हो या संत तुकाराम, मुक्ताबाई,जनाबाई। कितने ही नाम गिनाये जा सकते है।  महाराष्ट्र वह राज्य है जिसने जहा  स्वराज्य के संस्थापक वीर छत्रपति शिवाजी महाराज को जन्म दिया है। जिनको आज भी महाराष्ट्र के युवा बल वृद्ध भगवन के सामान पूजते है।   भारत में जो 51 शक्ति पीठ है उसमे से साढ़े तीन शक्तिपीठ महाराष्ट्र में है।  १) महालक्ष्मी मंदिर ( कोल्हापुर) २) तुळजाभवानी (तुळजापूर) ३) रेणुका देवी (माहुर )    महालक्ष्मी मंदिर (अम्बाबाई मंदिर  कोल्हापुर) कोल्हापुर में स्थित यह माता क पूर्ण शक्तिपीठ है। अभी जो मंदिर है उसका निर्माण 700AD में कन्नड़ के चालुक्य साम्राज्य के राजा कर्ण दीव ने क...

जमीन के निचे साँस लेता वो शहर - सांभर

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जमीन के निचे साँस लेता वो शहर - सांभर नमस्कार दोस्तों  आज आपको सुनाता हु एक ऐसे भूतिया शहर की कहानी जो पिछले 1300 सालो से जमीन में साँस ले रहा है।   एक ऐसा शहर जो एक सन्यासी के श्राप से रातोंरात उलट पलट गया, एक ऐसा शहर जिसे तांत्रिकों का hub माना जाता था, एक ऐसा शहर जो अपने आप में एक संस्कृति   था , एक ऐसा शहर जो किसी हड़प्पा सभ्यता से किसी मामले में काम नहीं था ,एक ऐसा शहर जिसे किसी एक पीर बाबा या संत या सन्यासी के तात्कालिक क्रोध का ग्रास बनना पड़ा। ये सब आपको पढ़ने में फिल्मी लगता होगा ,इसका किसी पुस्तक में विवरण भी मुश्किल से आपको मिल जायेगा।मै नहीं जानता की गूगल या विकिपीडिया पर इसके बाबत जानकारी क्यों उपलब्ध नहीं है   लेकिन जो आज आप पढ़ेंगे वो सोलह आने सच है। जिसकी पुष्टि न्यूज़ 24 के एक कार्यक्रम में की गयी है जिसका शीर्षक है "खंडहर में   साँस लेता वो शहर"। आज के सांभर शहर के पास ही १३०० साल पुराने सांभर शहर के अवशेष देखे जा सकते है। उसके अवशेष ऐसे जान पड़ते हो जैसे घरो की छते निचे जमीन पर आ गयी हो। उसका औराआज भी किसी प्राचीन सुविकसित सभ्यता से कम नहीं लगता...

सोमनाथ मंदिर,जिसे मुस्लिम शासको ने १७ बार लुटा

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Somnath Temple Ka Darshan In Hindi सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। यह मंदिर भारत में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला माना जाता है। यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। प्राचीन समय में इस मंदिर को कई मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्वारा बार-बार ध्वस्त करने के बाद वर्तमान हिंदू मंदिर का पुनर्निर्माण वास्तुकला की चालुक्य शैली में किया गया। सोमनाथ का अर्थ है, “भगवानों के भगवान”, जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। गुजरात का सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है जहां अंटार्कटिका तक सोमनाथ समुद्र के बीच एक सीधी रेखा में कोई भूमि नहीं है। सोमनाथ मंदिर के प्राचीन इतिहास और इसकी वास्तुकला और प्रसिद्धि के कारण इसे देखने के लिए देश और दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। 1. सोमनाथ मंदिर का इतिहास History Of Somnath Temple In Hindi प्राचीन हिन्दू ग्रंथों के अनुसार में बताये कथानक के अनुसार सोम अर्थात् चन्द्र ने, दक्षप्रजापति राजा की २७ कन्याओं से विवाह...